
लेख विधि ने जो लिख डाले,
ख़ुद ही विधि के टरत ना टाले |
लिखे माल के अंक ना मिटते,
सुख-दुःख हरदम कभी ना टिकते |
सुख पाकर के जो इतराए,
ना जाने कब दिन फ़िर जाए |
शैब्या थी हरिश्चंद्र की रानी,
राजा के दिल की पटरानी |
राजा ने जब राज को त्यागा,
गली-गली वो फिरे अभागा |
हरिश्चंद्र के दिल की पटरानी,
बेच रहे ख़ुद राजा दानी |
बेटा बेचा बेचीं रानी,
ख़ुद करते मरघट निगरानी |
समय को कोई जान ना पाए,
क्या जाने कब क्या करवाए |
घमंड करे और कुछ भी बोले,
मोटे बोल राम को तोले |
सुख के बादल जब हैं छाए,
छप्पन भोग भी रास ना आए |
कभी तो सूखी रोटी भाए,
छप्पन भोग का स्वाद चखाए |
मखमल पर भी नींद ना आए,
टाट-पटोरे भी सुख के साए |
यही तो है सुख-दुःख का फेरा,
सभी को बनना पड़ता चेरा |
दुःख-सुख को जो बंधु बनाए,
सभी हाल में मौज मनाए |
मौज मनाना ही जिंदगानी,
दूध मिले या मिल जाए पानी |
खुशी के संग में दुःख को झेलें,
दुःख भी सुख बनकर के खेले |
सुख पाकर के मत इतराओ,
दुःख में भी तुम मत घबराओ |
दोनों को तुम गले लगाओ,
दोनों के संग मौज मनाओ |
ख़ुद ही विधि के टरत ना टाले |
लिखे माल के अंक ना मिटते,
सुख-दुःख हरदम कभी ना टिकते |
सुख पाकर के जो इतराए,
ना जाने कब दिन फ़िर जाए |
शैब्या थी हरिश्चंद्र की रानी,
राजा के दिल की पटरानी |
राजा ने जब राज को त्यागा,
गली-गली वो फिरे अभागा |
हरिश्चंद्र के दिल की पटरानी,
बेच रहे ख़ुद राजा दानी |
बेटा बेचा बेचीं रानी,
ख़ुद करते मरघट निगरानी |
समय को कोई जान ना पाए,
क्या जाने कब क्या करवाए |
घमंड करे और कुछ भी बोले,
मोटे बोल राम को तोले |
सुख के बादल जब हैं छाए,
छप्पन भोग भी रास ना आए |
कभी तो सूखी रोटी भाए,
छप्पन भोग का स्वाद चखाए |
मखमल पर भी नींद ना आए,
टाट-पटोरे भी सुख के साए |
यही तो है सुख-दुःख का फेरा,
सभी को बनना पड़ता चेरा |
दुःख-सुख को जो बंधु बनाए,
सभी हाल में मौज मनाए |
मौज मनाना ही जिंदगानी,
दूध मिले या मिल जाए पानी |
खुशी के संग में दुःख को झेलें,
दुःख भी सुख बनकर के खेले |
सुख पाकर के मत इतराओ,
दुःख में भी तुम मत घबराओ |
दोनों को तुम गले लगाओ,
दोनों के संग मौज मनाओ |