मंगलवार, 31 मार्च 2009

बूँद ने बदला भाग्य


बच्चे का जब जन्म हुआ,
दूध से जीवन शुरू हुआ..
बड़ा हुआ बद्संगति पाई,
मद को बूँद से शुरू किया..

बूँद-बूँद को पीते-पीते,
बूँद घूँट में बदल गई..
देश के भावी कर्णधार थे,
देश की दिशा भी बदल गई..

बूँद घूँट में बदली है,
और घूँट बदल गई बोतल में..
पहले बाहर पीते थे,
अब घर बदला है होटल में..

इस बूँद ने जीवन बदला है,
इस बूँद से डर मेरे लाला..
ये बूँद छलावा अमृत का,
ये बूँद तो है विष का प्याला..

पीकर इस विष के प्याले को,
तुम गिरते पड़ते चलते हो..
तुम बन सकते थे रखवाले,
पर ज़हर की आग में जलते हो..

इस धरा पर जिसने जन्म लिया,
वो कर्ज़दार है देश का..
इस माटी का क़र्ज़ चुकाना है,
तू वेश बना अब शेष का..

रविवार, 15 मार्च 2009

टिक-टिक का सन्देश



टिक-टिक-टिक-टिक ये घड़ी चलती,
काम है चलना चलती रहती..
सेकेंड की सुइया सरपट दौड़े,
जैसे मैदानों में घोड़े..

मंथर-गति है मिनट की सुइया,
पर चलती तो है मेरे भइया..
घंटे की क्या बात बताएँ,
कच्छप चाल से चलती जाए..

सुइयाँ ये संदेश सुनाए,
जीवन पथ पर बढ़ती जाए..
सेकंड सुई के संग जो बढ़ता,
एक पल में दस पल को जीता..

मिनट की सुई भी जीना सिखाती,
जीवन कुछ गतिमान बनाती..
सुई घंटे के संग जो जीता,
दस पल भी दो पल में बीता..

घंटे संग जो चलना ना चाहे,
कहाँ है मंजिल कहाँ है राहें..
चेतन बनकर बन गया है जड़,
जीवन मधुबन बन गया पतझड़..

कुछ मरकर भी अमर हो जाते,
कुछ जी कर भी मर जाते..
घड़ी ये हमको जीना सिखाती,
तीन गति ये हमको बताती..
सरपट गति में चलते जाओ,
गीत खुशी के हरदम गाओ..

बुधवार, 4 मार्च 2009

इक-दूजे के पूरक


जहाँ मान नहीं है पति का,
वहाँ शान कहाँ पत्नी की..
जहाँ मान नहीं है पत्नी का,
वहाँ शान कहाँ है पति की..

एक-दूसरे के हैं पूरक,
एक-दूसरे से है जीवन..
एक-दूसरे की हैं खुशबू,
एक-दूसरे से है मधुबन..

इक दूजे बिन हैं अधूरे,
कैसे जल बिन नाव चलाये..
एक दूजे से हैं पूरे,
जैसे माझी पार लगाए..

हैं इक दूजे के शीर्ष,
हैं इक दूजे की पूजा..
हैं दोनों ही अभिमान,
इस भाव से जग में हो ऊँचा..

बिन पानी के खाली सागर,
कोई लहर कहाँ से आए..
भरा उदधि इक दूजे से,
कोई ठोस वजूद बताये..

बिन घी के दीपक-बाती,
नहीं कभी भी वो जल पाती..
संगम-संग ज्योत जलाकर,
वो मंजिल पर ले जाती..

इक दूजे से हैं अंक,
बने सौ का पूरा-पूरा..
इक दूजे से जीवन पूरा,
है कुछ भी नहीं अधूरा..