सोमवार, 18 मई 2009

एक लक्ष्य


एक लक्ष्य

लक्ष्य करो निर्धारित फिर तुम चलते जाओ

किसी के कहने पर मत रुकना, तब तुम मंजिल पाओगे
बार-बार मत राह बदलना, बदलोगे पछताओगे
पग-पग पर फिर बिन मंजिल के ठोकर खाओ
लक्ष्य करो...

खींचेगा कोई हाथ पकड़कर, रस्ता नया बताएगा
आधे रास्ते में फिर कोई, राह नयी दिखलाएगा
अँधा राही मत बन, तुम इक लक्ष्य चिराग जलाओ
लक्ष्य करो...

इच्छा शक्ति प्रबल रखो तुम, अवसरवादी मत बनना
किसी के कहे ना अटको भटको, जो सोचा है वो करना
एक लक्ष्य और सौ-सौ बाणों से एकलव्य बन जाओ
लक्ष्य करो...

दृढ़ शक्ति हो निष्ठां दीप जले पुरुषार्थ का
नैतिक पथ के पथिक बनो अवलंबन छोड़ो स्वार्थ का
सत्य का जीवन एक लक्ष्य संग नया इतिहास रचाओ
लक्ष्य करो...

रविवार, 10 मई 2009

कैसे मिलेंगे राम ?


हे प्राणी ! तुझे कैसे मिलेंगे राम ?

माला मन का फेरा,
पर मनको नहीं तू फेरा है,
इसमें कपट भरा है घनेरा,
कहता तू तेरा मैं मेरा,
कपट में बीते सुबहो-शाम...
तुझको कैसे मिलेंगे राम ?

मन में अहम का मैल समाया,
इसमें झूठ का कीच मिलाया,
छल की मोटी लकड़ी लाया,
उसमें इर्ष्या की आग लगाया,
लपटें क्रोध की छूटे ना दाम...
तुझको कैसे मिलेंगे राम ?

ये दूध सा सादा जीवन,
जीवन है जैसे मधुबन,
तूने नीम्बू रस टपकाया,
बदी से पतझड़ मौसम लाया,
सावन में सूखी शाम...
तुझे कैसे मिलेंगे राम ?

तू करता भागवत गीता,
फिर भी ज्ञान का घड़ा है रीता,
तू अपने-पराए में जीता,
तभी तो बन गयी एक कविता
तू छल कपट को दे विराम !
तुझको तभी मिलेंगे राम !!

शुक्रवार, 1 मई 2009

सोना और लोहा


सोने का टुकडा जैसे कोई लाट था,
सोने के संग में ही लोहे का बाट था..

लोग बोली बोल रहे सोने का ठाट था,
कौड़ियों के दाम पडा,लोहे का बाट था..

प्रभु की शरण में लोहा,दुखों को बोल गया,
प्रभु ने चरण बिठाया,दिल भी उनका डोल गया..

प्रभु की कृपा से पारस लोहे का रोल गया,
सोने का टुकडा वो हलके में तोल गया..

जीवन के दुःख मानव प्रभु को सुनाए जा,
रुकना नहीं फ़िर तुझको,बढ़ता तो जाए जा..

प्रभु के भजन में मगन हो के तू गाए जा,
जीवन को सुख से जी,मुक्ति भी पाएगा..