सोमवार, 18 मई 2009

एक लक्ष्य


एक लक्ष्य

लक्ष्य करो निर्धारित फिर तुम चलते जाओ

किसी के कहने पर मत रुकना, तब तुम मंजिल पाओगे
बार-बार मत राह बदलना, बदलोगे पछताओगे
पग-पग पर फिर बिन मंजिल के ठोकर खाओ
लक्ष्य करो...

खींचेगा कोई हाथ पकड़कर, रस्ता नया बताएगा
आधे रास्ते में फिर कोई, राह नयी दिखलाएगा
अँधा राही मत बन, तुम इक लक्ष्य चिराग जलाओ
लक्ष्य करो...

इच्छा शक्ति प्रबल रखो तुम, अवसरवादी मत बनना
किसी के कहे ना अटको भटको, जो सोचा है वो करना
एक लक्ष्य और सौ-सौ बाणों से एकलव्य बन जाओ
लक्ष्य करो...

दृढ़ शक्ति हो निष्ठां दीप जले पुरुषार्थ का
नैतिक पथ के पथिक बनो अवलंबन छोड़ो स्वार्थ का
सत्य का जीवन एक लक्ष्य संग नया इतिहास रचाओ
लक्ष्य करो...