मंगलवार, 31 मार्च 2009

बूँद ने बदला भाग्य


बच्चे का जब जन्म हुआ,
दूध से जीवन शुरू हुआ..
बड़ा हुआ बद्संगति पाई,
मद को बूँद से शुरू किया..

बूँद-बूँद को पीते-पीते,
बूँद घूँट में बदल गई..
देश के भावी कर्णधार थे,
देश की दिशा भी बदल गई..

बूँद घूँट में बदली है,
और घूँट बदल गई बोतल में..
पहले बाहर पीते थे,
अब घर बदला है होटल में..

इस बूँद ने जीवन बदला है,
इस बूँद से डर मेरे लाला..
ये बूँद छलावा अमृत का,
ये बूँद तो है विष का प्याला..

पीकर इस विष के प्याले को,
तुम गिरते पड़ते चलते हो..
तुम बन सकते थे रखवाले,
पर ज़हर की आग में जलते हो..

इस धरा पर जिसने जन्म लिया,
वो कर्ज़दार है देश का..
इस माटी का क़र्ज़ चुकाना है,
तू वेश बना अब शेष का..