गुरुवार, 15 जनवरी 2009

अनुभव


कुछ लोग जीते जाते हैं,
उम्र को पीते जाते हैं,
धीरे-धीरे वृद्धों की श्रेणी में जाते हैं,
पर अनुभव नहीं लेने के कारण,
अनुभव-ज्ञान में कोरे ही रह जाते हैं..

बालों में सफेदी छा जाती है,
पर इसमें अनुभवता की
छाप नहीं आती है,
चेहरे पर झुर्रियाँ गुजरे कितने ही,
मौसमों की कहानी कहती है,
पर अनुभव में ये झुर्रियाँ,
ज्ञान-बरी रहती है..

पर कुछ लोग जीवन से लेने वाले,
बचपन से ही संग्रह करते हैं,
अनुभवों को भरते हैं,
उम्र में भले ही बच्चे हैं,
पर अनुभव ज्ञान में अच्छे हैं..

जहाँ भी जाते हैं,
वहाँ से कुछ लेकर आते हैं,
तो कुछ देकर भी जाते हैं,
लेकर-देकर जीवन को ये
भव्य बनाते हैं,
चाँद-रुपी जीवन को अनुभव-रुपी
तारों से सजाते हैं..

छोटी से छोटी बात को भी
जीवन में गुनाते हैं,भुनाते हैं,
और अनुभव की खान बन जाते हैं,
"घाट-घाट का पानी पीना"
वाले मुहावरे को,
कर्म से बताते हैं,
अपने अनुभव का डंका
हर जगह बजाते हैं..