शनिवार, 17 जनवरी 2009

हिन्दी की दुर्गति


देश तो स्वतन्त्र हुआ पर,
अब भी वो गुलाम है |
खदेड़ दिया अंग्रेजों को पर,
अंग्रेज़ी तो यहाँ की शान है ||

पढ़-पढ़ कर अंग्रेज़ी सबने,
इसको सागर बना दिया |
हिन्दी की नदियों को सबने,
इस सागर में समां दिया ||

बेगाना हो गया अपना घर,
अपने ही घर में पराई है |
खदेड़ दिया अंग्रेजों को पर,
अंग्रेज़ी तो हर जगह छाई है ||

नाम मिला है राष्ट्र की भाषा,
पद-गरिमा ना मिल पाई |
पद की जगह बैशाखी मिल गई,
लंगड़ी बनी सब हरजाई ||

राष्ट्र की भाषा हिन्दी है,
इस राष्ट्र की शक्ति हिन्दी है |
जीवन-प्रवाह भी हिन्दी है,
संस्कृति हमारी हिन्दी है ||

राष्ट्र-एकता की कड़ी है हिन्दी,
संस्कृत से ये आई है |
दुश्मन थे अंग्रेज़ तो क्या,
अंग्रेज़ी तेरा भाई है ||

अंग्रेज़ी का परचम लहरा,
हिन्दी कितनी झुकी-झुकी सी है |
अपने देश में वृद्ध हुई ये,
साँसें देखो, रुकी-रुकी सी है ||

अंग्रेज़ी पढने वालों तुमको,
हिन्दी की दुहाई है |
अंग्रेज़ी तेरी रिश्तेदार,
पर हिन्दी तेरी माई है ||

अपनी भाषा के संग रहकर,
सब भाषा से रिश्ता जोड़ |
पर हिन्दी सबसे ऊपर है,
हिन्दी से ना रिश्ता तोड़ ||