
जिसने जो दिया उसने वो पाया,
ठीक वैसे ही जैसे दर्पण झूठ नहीं बोलता
उसने हर हाल को जस का तस बतलाया..
बचपन में बचपन को नहीं छिपाया,
जवानी में सुन्दरता का राज़ बताया,
पचपन में मुरझे चेहरे को दिखलाया
और मनोविज्ञानी की तरह सामने वाले को समझाया,
मैं तो आज भी वही हूँ ख़ुद को ना बदलाया,
वो बचपन का भोलापन,जवानी की खिलखिलाहट को
किस तिजोरी में छिपाया..
बचपन से पचपन तक आते-आते छल,कपट,कड़वाहट रुपी
कैंसर की बिमारी को इस शरीर में कहाँ-कहाँ लगाया..
और इस बिमारी से कितनों को सताया..
कोई नहीं जानता कि ऊपर जा कर किस-किस ने स्वर्ग को पाया..
अभी भी समय है कुछ दवा-दारु कर,आज का जो वक्त है,
इसे स्वर्ग बना, शांति से जी, दूसरों को बख्श दे
इस भयंकरतम बीमारी से और अपनी भी बचाले ये काया..
जिसने जो दिया उसने वही पाया,
ठीक वैसे ही जैसे मैनें जो देखा वही दिखलाया,
कभी भी झूठ नहीं बतलाया..
बचपन से लेकर पचपन तक का प्रकरण ज्यों का त्यों बतलाया..
ठीक वैसे ही जैसे दर्पण झूठ नहीं बोलता
उसने हर हाल को जस का तस बतलाया..
बचपन में बचपन को नहीं छिपाया,
जवानी में सुन्दरता का राज़ बताया,
पचपन में मुरझे चेहरे को दिखलाया
और मनोविज्ञानी की तरह सामने वाले को समझाया,
मैं तो आज भी वही हूँ ख़ुद को ना बदलाया,
वो बचपन का भोलापन,जवानी की खिलखिलाहट को
किस तिजोरी में छिपाया..
बचपन से पचपन तक आते-आते छल,कपट,कड़वाहट रुपी
कैंसर की बिमारी को इस शरीर में कहाँ-कहाँ लगाया..
और इस बिमारी से कितनों को सताया..
कोई नहीं जानता कि ऊपर जा कर किस-किस ने स्वर्ग को पाया..
अभी भी समय है कुछ दवा-दारु कर,आज का जो वक्त है,
इसे स्वर्ग बना, शांति से जी, दूसरों को बख्श दे
इस भयंकरतम बीमारी से और अपनी भी बचाले ये काया..
जिसने जो दिया उसने वही पाया,
ठीक वैसे ही जैसे मैनें जो देखा वही दिखलाया,
कभी भी झूठ नहीं बतलाया..
बचपन से लेकर पचपन तक का प्रकरण ज्यों का त्यों बतलाया..